WhatsApp Helps People Cheat on Their Spouses

Cheaters usually get caught and the mobile messaging service WhatsApp can help or hurt those dirty little cheaters. WhatsApp has taken a scandalous turn to aiding in infidelity, particularly in Italy. A new report was released Monday by the Italian Association of Matrimonial Lawyers citing that 40% of divorce cases in Italy have used WhatsApp as evidence of infidelity. You’d think these people would just delete the messages right away or use Snapchat instead. (Which is probably a better way to message a mistress or mister since the messages disappear immediately after you open them. Just sayin’.) WhatsApp helping push up divorce rates shows how mobile can influence our communication and relationships.
The appeal of WhatsApp is it uses 3G or WiFi instead of SMS texting. So, if you’re into being sneaky and slutty with someone besides your significant other, the phone number you’re messaging won’t show up on the monthly phone bill. As Gian Ettore Gassani, president of the association explained to The Times, “Lovers can now exchange risqué photos of themselves, and we have seen adulterers using the service to maintain three or four relationships – it’s like dynamite.” Seriously, why are these people even married?
WhatsApp’s recently updated features tells users when their message has been sent, received and read with a timestamp. Which is great if you’re obsessed with knowing when someone has read your message. It’s also great for having it be used as evidence against you in a court case. “My message to adulterers is, ‘Be prudent’, since if it makes betrayal easier WhatsApp also makes it easier to be caught,” Gassani told The Times. “Spouses often become suspicious when they hear the beep of an incoming message.” That is quite the paradox advising cheaters to be prudes.

ये हैं वो 6 शाप जिनके कारण हुई थी रावण की मृत्यु

ये हैं वो 6 शाप जिनके कारण हुई थी रावण की मृत्यु



एक बार रावण भगवान शिव के दर्शन के लिए कैलाश गया। वहां उसने नंदीजी को देखकर उनके स्वरूप की हंसी उड़ाई और उन्हें बंदर के समान मुख वाला कहा। तब नंदीजी ने रावण को शाप दिया कि बंदरों के कारण ही तेरा सर्वनाश होगा।विश्व विजय करने के लिए जब रावण स्वर्ग लोक पहुंचा तो उसे वहां रंभा नाम की अप्सरा दिखाई दी। वासना पूर्ति की इच्छा से रावण ने उसे पकड़ लिया। तब रंभा ने कहा कि आप मुझे इस तरह से स्पर्श न करें, मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए आरक्षित हूं इसलिए मैं आपकी पुत्रवधू के समान हूं। लेकिन रावण नहीं माना और उसने रंभा से दुराचार किया। यह बात जब नलकुबेर को पता चली तो उसने रावण को शाप दिया कि 'अगर किसी स्त्री की इच्छा के बिना वह उसको स्पर्श करेगा तो मस्तक सौ टुकड़ों में बंट जाएगा।'भगवान राम के वंश 'रघुवंश' में एक परम प्रतापी राजा हुए थे, जिनका नाम अनरण्य था। जब रावण विश्वविजय करने निकला तो राजा अनरण्य से उसका भयंकर युद्ध हुआ। उस युद्ध में राजा अनरण्य की मृत्यु हो गई, लेकिन मरने से पहले उन्होंने रावण को शाप दिया कि मेरे ही वंश में उत्पन्न एक युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा।रावण ने अपनी पत्नी की बड़ी बहन माया के साथ भी छल किया था। माया के पति वैजयंतपुर के शंभर राजा थे। एक दिन रावण शंभर के यहां गया। वहां रावण ने माया को अपनी बातों उलझा लिया। इस बात का पता शंभर को चला तो उसने रावण को बंदी बना लिया। उसी समय शंभर पर राजा दशरथ ने आक्रमण कर दिया। उस युद्ध में शंभर की मृत्यु हो गई। जब माया सती होने लगी तो रावण ने उसे अपने साथ चलने को कहा। तब माया ने कहा कि तुमने वासनायुक्त मेरा सतीत्व भंग करने का प्रयास किया इसलिए मेरे पति की मृत्यु हो गई। इसलिए तुम भी स्त्री की वासना के कारण मारे जाओगे।एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था। तभी उसे एक सुंदर स्त्री दिखाई दी, वह स्त्री भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। रावण ने उसके बाल पकड़े और अपने साथ चलने को कहा। उस तपस्विनी ने उसी क्षण अपनी देह त्याग दी और रावण को शाप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी।रावण की बहन शूर्पणखा के पति का नाम विद्युतजिव्ह था। वो कालकेय नाम के राजा का सेनापति था। रावण जब विश्वयुद्ध पर निकला तो कालकेय से उसका युद्ध हुआ। उस युद्ध में रावण ने विद्युतजिव्ह का वध कर दिया। तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को शाप दिया कि 'मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा।'

सात फेरों का वैज्ञानिक रहस्य

यदि आप विवाहित हैं तो आपको इन शब्दों का ज्ञान पहले से होगा। भारतीय विवाह प्रणाली में सात फेरों का अधिक महत्व है। आओ जानें ऐसा क्या है इन सात फेरों में--क्या कोई वैज्ञानिक रहस्य भी छुपा है।  क्या आपने ये देखा है कि जब तक सात फेरे पूरे नहीं हो जाते, तब तक विवाह संस्कार पूरा हुआ नहीं माना जाता। न एक फेरा कम, न एक फेरा अधिक। वैसे इन दिनों कुछ विवाह संस्कार आयोजनों में चार या पांच फेरों में ही काम चला लिया जाता है, लेकिन जानकारों के अनुसार इस तरह के संस्कार सुखद नहीं होते। असल उद्देश्य वरवधू को चेतना के हर स्तर पर एकरस और सामंजस्य से संपन्न कर देना है। चेतना के सात स्तरों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सात की संख्या मानव जीवन के लिए बहुत विशिष्ट है। योग की दृष्टि से शरीर में ऊर्जा (पार्थिव) और शक्ति (आध्यात्मिकता) के सात केंद्र हैं। इन्हें चक्र कहा जाता है यज्ञ और संस्कार के वातावरण और विशिष्ट जनों की उपस्थिति में सात कदम एक साथ सातवें पद या परिक्रमा में वर, कन्या एक दूसरे से कहते है हम दोनों अब परस्पर सखा बन गए हैं। शरीर के निचले भाग से शुरु हो कर ऊपर की ओर बढने पर इनकी स्थिति इस प्रकार मानी गई है मूलाधार, (शरीर के प्रारंभिक बिंदु पर) स्वाधिष्ठान, ( गुदास्थान से कुछ ऊपर) मणिपुर, (नाभिकेंद्र) अनाहत, (हृदय) विशुद्ध, (कंठ) आज्ञा (ललाट, दोनों नेत्रों के मध्य में) और सहस्रार(शीर्ष भाग में जहां शिखा केंद्र) है। चक्र शरीर के केन्द्र हैं। उन्ही की तरह शरीर के भी सात स्तर माने गए हैं। इनके नाम इस तरह हैं स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर, कारण शरीर, मानस शरीर, आत्मिक शरीर, दिव्य शरीर और ब्रह्म शरीर। विवाह की सप्तपदी में उन शक्ति केंद्रों और अस्तित्व की परतों या शरीर के गहनतम रूपों तक तादात्म्य बिठाने करने का विधान रचा जाता है, केवल शिक्षा नहीं, व्यावहारिक विज्ञान के रूप में। इस तथ्य को समझाने के लिए ही सप्तपदी या सात वचनों को संगीत के सात सुर, इंद्रधनुष के सात रंग, सात तल, सात समुन्द्र, सात ऋषि, सातों लोकों आदि का उल्लेख किया जाता है। असल बात शरीर, मन और आत्मा के स्तर पर एक्य स्था स्थापित करना है जिसे जन्म जन्मान्तर का साथ कहा जा सके। भारतीय विवाह में विवाह की परंपराओं में सात फेरों का एक चलन है। हिन्दू धर्म के अनुसार सात फेरों के बाद ही शादी की रस्म पूर्ण होती है। सात फेरों में दूल्हा व दुल्हन दोनों से सात वचन लिए जाते हैं। यह सात फेरे ही पति-पत्नी के रिश्ते को सात जन्मों तक बांधते हैं। हिंदू विवाह संस्कार के अंतर्गत वर-वधू अग्नि को साक्षी मानकर इसके चारों ओर घूमकर पति-पत्नी के रूप में एक साथ सुख से जीवन बिताने के लिए प्रण करते हैं और इसी प्रक्रिया में दोनों सात फेरे लेते हैं, जिसे सप्तपदी भी कहा जाता है। और यह सातों फेरे या पद सात वचन के साथ लिए जाते हैं। हर फेरे का एक वचन होता है, जिसे पति-पत्नी जीवनभर साथ निभाने का वादा करते हैं। यह सात फेरे ही हिन्दू विवाह की स्थिरता का मुख्य स्तंभ होते हैं। विवाह के बाद कन्या वर के वाम अंग में बैठने से पूर्व उससे सात वचन लेती है। कन्या द्वारा वर से लिए जाने वाले सात वचन इस प्रकार है। (यहाँ कन्या वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थयात्रा को जाओ तो मुझे भी अपने संग लेकर जाना। कोई व्रत-उपवास अथवा अन्य धर्म कार्य आप करें तो आज की भांति ही मुझे अपने वाम भाग में अवश्य स्थान दें। यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।)

 किसी भी प्रकार के धार्मिक कृ्त्यों की पूर्णता हेतु पति के साथ पत्नि का होना अनिवार्य माना गया है। जिस धर्मानुष्ठान को पति-पत्नि मिल कर करते हैं, वही सुखद फलदायक होता है। पत्नि द्वारा इस वचन के माध्यम से धार्मिक कार्यों में पत्नि की सहभागिता, उसके महत्व को स्पष्ट किया गया है।  (कन्या वर से दूसरा वचन मांगती है कि जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें तथा कुटुम्ब की मर्यादा के अनुसार धर्मानुष्ठान करते हुए ईश्वर भक्त बने रहें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।)

 यहाँ इस वचन के द्वारा कन्या की दूरदृष्टि का आभास होता है। आज समय और लोगों की सोच कुछ इस प्रकार की हो चुकी है कि अमूमन देखने को मिलता है--गृहस्थ में किसी भी प्रकार के आपसी वाद-विवाद की स्थिति उत्पन होने पर पति अपनी पत्नि के परिवार से या तो सम्बंध कम कर देता है अथवा समाप्त कर देता है। उपरोक्त वचन को ध्यान में रखते हुए वर को अपने ससुराल पक्ष के साथ सदव्यवहार के लिए अवश्य विचार करना चाहिए।  (तीसरे वचन में कन्या कहती है कि आप मुझे ये वचन दें कि आप जीवन की तीनों अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढावस्था, वृद्धावस्था) में मेरा पालन करते रहेंगे, तो ही मैं आपके वामांग में आने को तैयार हूँ।)  (कन्या चौथा वचन ये माँगती है कि अब तक आप घर-परिवार की चिन्ता से पूर्णत: मुक्त थे। अब जबकि आप विवाह बंधन में बँधने जा रहे हैं तो भविष्य में परिवार की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति का दायित्व आपके कंधों पर है। यदि आप इस भार को वहन करने की प्रतीज्ञा करें तो ही मैं आपके वामांग में आ सकती हूँ।)

 इस वचन में कन्या वर को भविष्य में उसके उतरदायित्वों के प्रति ध्यान आकृ्ष्ट करती है। विवाह पश्चात कुटुम्ब पौषण हेतु पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है। अब यदि पति पूरी तरह से धन के विषय में पिता पर ही आश्रित रहे तो ऐसी स्थिति में गृहस्थी भला कैसे चल पाएगी। इसलिए कन्या चाहती है कि पति पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होकर आर्थिक रूप से परिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम हो सके। इस वचन द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि पुत्र का विवाह तभी करना चाहिए जब वो अपने पैरों पर खडा हो, पर्याप्त मात्रा में धनार्जन करने लगे।  (इस वचन में कन्या जो कहती है वो आज के परिपेक्ष में अत्यंत महत्व रखता है। वो कहती है कि अपने घर के कार्यों में, विवाहादि, लेन-देन अथवा अन्य किसी हेतु खर्च करते समय यदि आप मेरी भी मन्त्रणा लिया करें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।)

 यह वचन पूरी तरह से पत्नि के अधिकारों को रेखांकित करता है। बहुत से व्यक्ति किसी भी प्रकार के कार्य में पत्नी से सलाह करना आवश्यक नहीं समझते। अब यदि किसी भी कार्य को करने से पूर्व पत्नी से मंत्रणा कर ली जाए तो इससे पत्नी का सम्मान तो बढता ही है, साथ साथ अपने अधिकारों के प्रति संतुष्टि का भी आभास होता है। (कन्या कहती है कि यदि मैं अपनी सखियों अथवा अन्य स्त्रियों के बीच बैठी हूँ तब आप वहाँ सबके सम्मुख किसी भी कारण से मेरा अपमान नहीं करेंगे। यदि आप जुआ अथवा अन्य किसी भी प्रकार के दुर्व्यसन से अपने आप को दूर रखें तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।)

 वर्तमान परिपेक्ष्य में इस वचन में गम्भीर अर्थ समाहित हैं। विवाह पश्चात कुछ पुरुषों का व्यवहार बदलने लगता है। वे जरा जरा सी बात पर सबके सामने पत्नी को डाँट-डपट देते हैं। ऐसे व्यवहार से पत्नी का मन कितना आहत होता होगा। यहाँ पत्नी चाहती है कि बेशक एकांत में पति उसे जैसा चाहे डांटे किन्तु सबके सामने उसके सम्मान की रक्षा की जाए, साथ ही वो किन्हीं दुर्व्यसनों में फँसकर अपने गृ्हस्थ जीवन को नष्ट न कर ले। (अन्तिम वचन के रूप में कन्या ये वर मांगती है कि आप पराई स्त्रियों को माता के समान समझेंगें और पति-पत्नि के आपसी प्रेम के मध्य अन्य किसी को भागीदार न बनाएंगें। यदि आप यह वचन मुझे दें तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।)

 विवाह पश्चात यदि व्यक्ति किसी बाह्य स्त्री के आकर्षण में बँध पगभ्रष्ट हो जाए तो उसकी परिणिति क्या होती है। इसलिए इस वचन के माध्यम से कन्या अपने भविष्य को सुरक्षित रखने का प्रयास करती है।  हमें बतायें आप इस बारे में क्या कहते हैं। क्या आपको लगता है कि विवाह संस्कार में सात फेरों का महत्व है या आप इन्हे केवल औपचारिक्ता ही मानते हैं।

How To Management Adwords(PPC) Accounts


INITIAL RESEARCH

  • Market Research & Competitor Analysis
  • Thorough Keyword Research and Selection
  • Website Analysis
  • Designing a better strategy

ADS CREATION

  • Text based Ads creation
  • Display banner ads creation
  • Dynamic Ads creation
  • Video Ads ( Video provided by client)

ACCOUNT & CAMPAIGN SETUP

  • Creation of Adwords/PPC Account (if not already registered)
  • Designing campaign structure

CAMPAIGN CREATION

  • Search Campaign
  • Display banner ads creation
  • Shopping Campaign with merchant center setup
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BUDGET ALLOCATION

  • Strategic Geographical Targeting and Ad Scheduling
  • Advanced Tracking setup using Google Analytics
  • Conversion tracking setup to measure leads & sales
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REGULAR OPTIMIZATION

  • Ensure ongoing keyword research and trend study for new keyword additions
  • Drafting Effective Ad Text Using Tested Best Practices
  • Careful and Complete Negative Keyword Selection and Implementation
  • Proactive deletion of poor keywords and negative keyword management
  • Ongoing ads performance analysis and A/B testing
  • Bid Optimization to get maximum ROI
  • Ensure continued Keyword Performance Analysis
  • Choose the Right Cost per Click and Budget Options based on Market Competition and Advertiser Budget
  • Careful analysis of all metrics to get maximum quality clicks and improved Return
  • Landing Page review and optimization
  • Click Fraud Monitoring
  • We will run ads on Mobile Devices / Tablets (Mobile Responsive Websites)
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REPORTING

  • We will give you full access to your account
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  • We will guide on how client can see important reports
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द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात जब विंस्टन चर्चिल व्हाइट हाउस में दाखिल हुए तो उनके साथ कुछ ऐसा हुआ,

द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात जब विंस्टन चर्चिल व्हाइट हाउस में दाखिल हुए तो उनके साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसने उन्हें हिलाकर रख दिया। यह बात काफी चर्चित है कि व्हाइट हाउस में अब्राहम लिंकन की आत्मा का वास है। विंस्टन का जब उस आत्मा से साक्षात्कार हुआ तो उनका यह अनुभव बहुत अजीब था। शराब और सिगरेट का नशा करने के बाद जब चर्चिल अपने बेडरूम में गए तो वहां उन्हें अब्राहम लिंकन की आत्मा दिखी। चर्चिल का कहना था कि उन्होंने लिंकन को गुड इवनिंग कहा, इसके बाद लिंकन थोड़ा मुस्कुराए और फिर वहां से गायब हो गए।
स्कॉटलैंड के रहने वाले लेखक और चिकित्सक, आर्थर कोनन डोयल के अनुसार वह अलग-अलग माध्यमों द्वारा पारलौकिक ताकतों से बात कर सकते थे। जबकि ब्रिटेन के महान गणितज्ञ, कंप्यूटर वैज्ञानिक और तर्कशात्री एलन ट्यूरिंग टेलिपैथी जैसी विद्या में विश्वास करते थे। जिन तीन लोगों का जिक्र यहां किया गया है वे अपने-अपने क्षेत्र के महान लोग रहे हैं, अत्याधिक बुद्धिमान, तार्किक और सूझबूझ रखने वाले लोग। लेकिन फिर भी ये तीनों पारलौकिक या पैरानॉर्मल बातों पर विश्वास रखते थे। आज के दौर में जब विज्ञान की पहुंच सामान्य जन-जीवन तक है, फिर भी लोगों का पारलौकिक शक्तियों पर यकीन करना थोड़ा हास्यास्पद लगता है। ऐसा क्या कारण है जो इंसानी मस्तिष्क भूत-प्रेत, आत्माओं या बुरी शक्तियों जैसी बातों को सच मान बैठता है?  मनोवैज्ञानिकों ने इंसानी मस्तिष्क में होने वाली इन हलचलों की खूब पड़ताल की और यह जानने की कोशिश की कि ऐसा क्यों है जहां कुछ लोग आत्माओं के कॉंसेप्ट पर विश्वास करते हैं तो कुछ उन्हें देखने का भी दम भरते हैं।  मनोवैज्ञानिकों ने अपने अध्ययनों में पाया कि जो व्यक्ति पारिवारिक जन-जीवन के काफी नजदीक होता है या इस सब्जेक्ट पर काफी ध्यान देता है तो उसे अपने आसपास बुरी शक्तियों का अनुभव होने लगता है। उसके दिमाग का एक भाग पैरानॉर्मल एक्टिविटीज पर केन्द्रित हो जाता है और उसे यह विश्वास दिलाने की कोशिश करने लगता है कि जो वह सोच रहा है वो सच है। परछाइयों को अपने आसपास देखने का दावा करने वाले लोग भी दिमागी तौर पर मजबूत नहीं होते। आउट ऑफ बॉडी यानि आत्मा का शरीर छोड़कर बाहर निकलने जैसे दृश्य को अनुभव करने को भी वैज्ञानिकों ने तंत्रिका संबंधी घटना करार दिया है। उदाहरण के तौर पर एक बार एक इटली के रहने वाले एक मनोवैज्ञानिक ने जब सुबह-सुबह अपना चेहरा शीशे में देखा तो उसे अपने चेहरे की जगह एक वृद्ध की शक्ल नजर आई। इस घटना के बाद उसने इस विषय में पड़ताल कर यह जाना कि कम रोशनी में अपना चेहरा देखने की वजह से इसे बेहद सामान्य अनुभव कहा जा सकता है।  शराब का अत्याधिक सेवन करना, ड्रग्स लेना या किसी अन्य प्रकार का नशा करने वाले व्यक्ति को कभी-कभार ऐसी गलतफहमियां हो सकती है, जिसकी वजह से वह अपने भ्रम को पारलौकिक अनुभव समझ लेता है।  मनोवैज्ञानिकों का यह भी कहना था कि आपका धर्म, आपके इस अनुभव से जुड़ी बातों से बहुत गहरा संबंध रखता है। इसके अलावा उस संबंधित व्यक्ति के साथ जब कुछ बुरा होता है, मसलन उसके किसी प्रिय की मृत्यु होती है, उसकी जॉब का नुकसान होता है या कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो उसका ध्यान अपने आप ही बुरी शक्तियों के होने पर केन्द्रित हो जाता है।   धीरे-धीरे उसका मस्तिष्क ना सिर्फ इन बुरी शक्तियों के होने पर विश्वास करने लगता है बल्कि उनके आसपास होने जैसी बात पर भी भरोसा कर लेता है। टेक्सास यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि खौफनाक चेहरों को अपने करीब देखना या कुछ डरावने चेहरों को देखने का अनुभव करना मस्तिष्क की एक गड़बड़ी है जो व्यक्ति के भीतर छिपे डर को बाहर निकालती है। धार्मिक किताबों या कहानियों में कुछ ऐसे पात्रों को दर्शाया जाता है जो देखने में काफी भयानक हैं। जो व्यक्ति अपने धर्म से ज्यादा करीब होता है वह ऐसे इन्हीं चेहरों को अपने मस्तिष्क में बैठा लेता है।
जब भी वह किसी नकारात्मक हालात में फंसता है, वह इन आकृतियों को अपने निकट महसूस करता है और इन्हीं को उन हालातों का जिम्मेदार मान लेता है।  एम्स्टरडैम यूनिवर्सिटी के अध्ययनकर्ताओं ने शोध के जरिए यह प्रमाणित किया है कि पारलौकिक शक्तियों पर विश्वास करने वाले लोग इस बात पर भरोसा करते हैं कि उनका वहम सच है। कम या ज्यादा रोशनी की वजह से अगर वह कुछ असामान्य सी आकृति देख लेते हैं तो वे उनको उसे भूत-प्रेत से जोड़ लेते हैं।  भूत-प्रेत या आत्माएं आपके मस्तिष्क का बहुत ही बचकाना सा डर हैं। इस डर का निर्माण भी आपका दिमाग ही करता है और आपका दिमाग ही आपको इससे डरने के लिए भी कहता है। इसे आप अपने दिमाग का केमिकल लोचा भी कह सकते हैं।

एक भविष्यवाणी से हुई थी युवराज की रहस्यमय मौत


कई बार हमारे मुख से जाने-अनजाने में कही गई बातें आने वाले भविष्य में सच हो जाती हैं। इसे हम मात्र एक संयोग समझ सकते हैं। लेकिन एक विद्वान द्वारा जांच-पड़ताल कर समझी हुई भविष्य की जानकारी देना तो संयोग नहीं हो सकता। कुछ ऐसे ही बात का उदाहरण देती है ‘वराह मिहिर’ के जीवन से जुड़ी एक कहानी।  वराह मिहिर ईसा की पांचवीं-छठी शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ थे। उनके पिता का नाम आदित्यदास था, जो सूर्य भगवान के भक्त थे। वराह मिहिर ने अपने पिता से ज्योतिष विद्या का ज्ञान हासिल किया था। जीवन भर कड़े परिश्रम से उन्होंने गणित, भूगोल व ज्योतिष ज्ञान में पूर्णता हासिल की। उनके इस पराक्रम का पता जब विक्रमादित्य चन्द्रगुप्त द्वितीय को लगा, तो राजा ने उन्हें अपने दरबार के नवरत्नों में शामिल कर लिया। वह अपने राज्य एवं प्रजा संबंधित हर अच्छे-बुरे कार्यों में वराह मिहिर की सलाह जरूर लेते थे। लेकिन रोचक तथ्य यह है कि वराह मिहिर का नाम पहले केवल ‘मिहिर’ था, जिसे बाद में राजा द्वारा ही वराह मिहिर कर दिया गया। वराह मिहिर के नाम बदले जाने के पीछे एक बेहद रोचक कहानी है। यही कहानी वराह मिहिर के जीवन में ज्योतिष ज्ञान को हासिल करने के बाद एक बड़ी परीक्षा के रूप में उभर कर आई। राजा विक्रमादित्य के महल में नौ रत्नों में से एक रत्न कहलाने वाले वराह मिहिर को राजा द्वारा बेहद सम्मान हासिल था।  राजा अपने राज्य के साथ अपने निजी मामलों में भी वराह मिहिर की सलाह लेना उचित समझते थे। एक बार राजा के यहां पुत्र ने जन्म लिया। पुत्र के जन्म होते ही राजा ने राज दरबार में वराह मिहिर को बुलाने का आदेश दिया। वराह मिहिर के उपस्थित होने पर राज ने उनसे अपने पुत्र के भविष्य का हाल बताने के लिए आग्रह किया। आज्ञानुसार वराह मिहिर राजा के नवजात शिशु की जन्म कुंडली बनाने में लग गए। वह कितना गुणवान होगा, कितना ज्ञान हासिल करेगा और उसकी उम्र क्या होगी, इन सभी बिंदुओं पर वराह मिहिर ने ध्यानपूर्वक काम किया। परन्तु अंत में जिस निष्कर्ष के साथ वराह मिहिर राजा के सामने आए, वह चौंकाने वाला था।  वराह मिहिर राजा के दरबार में हाज़िर हुआ। उसने यह बताया कि आपके पुत्र की आयु काफी छोटी है। वह जब 18 वर्ष का होगा तो एक वराह (जंगली सुअर) द्वारा मार दिया जाएगा। यह सुन मानो राजा की सांस वहीं की वहीं अटक-सी गई हो। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि उनके कुल का दीपक एक दिन बुझ जाएगा। वराह मिहिर द्वारा की गई इस भविष्यवाणी से राजा चौकन्ने हो गए। उन्होंने अपने मंत्री को बुलाकर अपने पुत्र के लिए कड़ी रक्षा का इंतज़ाम करने का आदेश दिया। उनके पुत्र के आसपास कोई परिंदा भी पर ना मार सके, इतनी सख्त सुरक्षा देने के आदेश दिए गए। सुरक्षा तो दे दी गई लेकिन फिर भी राजा के मन में वराह मिहिर द्वारा की गई भविष्यवाणी खटक रही थी। वे वराह मिहिर के पराक्रम को खूब समझते थे और जानते थे कि वराह मिहिर का ज्ञान कितना महान है। उनके मन में एक ही बात चल रही थी कि हो ना हो एक दिन वराह मिहिर की भविष्यवाणी सच हो सकती है। चिंता की इस भावना के साथ धीरे-धीरे दिन गुजरते गए। दिन हफ्तों में और हफ्ते महीनों में बदलते गए। कुछ इसी तरह से आखिरकार राजा के पुत्र की आयु 18 वर्ष की हो गई। वराह मिहिर द्वारा राजकुमार के मृत्यु का समय भी घोषित किया गया था। वराह मिहिर के अनुसार शाम 5 बजे एक जंगली वराह द्वारा राजा के पुत्र पर वार किया जाएगा जिससे उसकी मौत हो जाएगी। अब राजा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। दरबार में मौजूद किसी व्यक्ति ने सलाह दी कि ‘राजा साहब, आपके पुत्र की मृत्यु तो तब होगी ना जब महल के भीतर कोई जंगली वराह दाखिल हो सकेगा।  यदि सुरक्षा को और बढ़ा दिया जाए और राजकुमार को बेहद सुरक्षित स्थान पर ठहराया जाए तो वराह मिहिर की भविष्यवाणी गलत साबित हो सकती है’। राजा को वराह मिहिर के वचनों पर विश्वास तो था लेकिन पुत्र के मोह में वे अंधे हो चले थे। इसीलिए उन्होंने सबके सामने एक घोषणा की। वह बोले कि यदि किन्हीं कारणों से वराह मिहिर द्वारा की गई भविष्यवाणी सही निकली तो वह उसे राज्य के बड़े तख्त पर बैठा देंगे और उसे स्वयं मिहिर से ‘वराह मिहिर’ की उपाधि देकर सम्मानित करेंगे।  उन्होंने राजकुमार के बचाव में सभी सैनिकों एवं अपनी खास मंत्रियों को काम पर लगा दिया। राजकुमार को एक सुरक्षित इमारत में ठहराया गया। इस इमारत की चारों ओर की सीमा के बाहर एवं अंदर भी सैनिकों को तैनात किया गया। सुरक्षा इतने पुख्ते अंदाज़ से की गई कि शायद एक चूहा भी अंदर नहीं जा सकता था। इसके अलावा राजकुमार को इमारत के सातवें माले पर ठहराया गया और साथ ही यह आदेश भी दिए गए कि वह बिना राजा की आज्ञा के वहां से नीचे नहीं आ सकते। इतनी निपुण व्यवस्था के बाद राजा को अब यह भरोसा हो रहा था कि उनके पुत्र के जीवन पर कोई आंच नहीं आएगी। अब सभी वराह मिहिर द्वारा की गई भविष्यवाणी पर शक़ करने लगे थे। उसके द्वारा राजकुमार की मृत्यु के लिए जिस दिन और समय की गणना की गई थी, उसी दिन राजा ने राज दरबार में सब को बुलाया। भविष्यवाणी के अनुसार राजकुमार की मृत्यु शाम 5 बजे होनी थी। राजा द्वारा ठीक 2 बजे राज दरबार आयोजित करने क आदेश दिए गए। दरबार में उपस्थित सबकी नज़रें वराह मिहिर पर टिकी हुई थीं। सब चाहते थे कि सुरक्षा इंतज़ामों को देखते हुए वराह मिहिर अपनी भविष्यवाणी को गलत करार दें और सबसे माफी मांगें। वराह मिहिर को सबकी भावनाओं का अंदाज़ा होने लगा था। इसीलिए वह उठा और भरे दरबार में अपनी बात रखने लगा। वह बोला, “दुनिया में आज तक जितने भी महान ऋषि-मुनियों ने जन्म लिया वह भी राजकुमार के ऊपर मंडरा रहे मौत के साए को हटा नहीं सकते, तो फिर यह तुच्छ सैनिक क्या कर लेंगे।“ वह आगे बोला, “यदि मेरे द्वारा की गई भविष्यवाणी गलत निकली तो मैं भविष्य में कभी भी किसी भी प्रकार की भविष्यवाणी नहीं करूंगा। मैं संसार के सभी सुख त्याग कर वन में चला जाऊंगा और अंतिम सांस तक तप करूंगा। लेकिन मुझे विश्वास है कि मेरी की गई भविष्यवाणी जरूर सच होगी।“ यह कहकर वराह मिहिर अपने स्थान पर शांति से बैठ गया। उसकी बात का राजा पर गहरा असर हुआ। उसने सभी मंत्रियों को तुरंत ही उस इमारत का जायज़ा करने को कहा जहां राजकुमार अपने मित्रों के साथ ठहरे थे। हर आधे घंटे के बाद मंत्रियों द्वारा राजा को राजकुमार के सुरक्षित होने की खबर दी जाती थी। इससे राजा को यह विश्वास होने लगा कि वराह मिहिर की भविष्यवाणी गलत ही साबित होगी। अब शाम के 6 बज चुके थे और अब भी मंत्रियों ने राजकुमार के जीवित एवं सुरक्षित होने की खबर राजा को दे दी थी। यह सुन कर राजा को अपने सैनिकों एवं तमाम प्रबंधों पर गर्व महसूस हुआ। राजा ने दरबार में वराह मिहिर के साथ अन्य सभी खास हस्तियों को बुलाया।  तब राजा वराह मिहिर से बोले कि देखो मेरा पुत्र अभी भी जीवित है, आखिरकार तुम्हारी कही बात खारिज हुई। तब वराह मिहिर धीमे से मुस्कुराए और बोले, “ हे राजन! आपके पुत्र की मौत तो मेरे द्वारा बताए गए निर्धारित समय यानी कि 5 बजे हो चुकी है। जरूर आपके मंत्रियों द्वारा जांच-पड़ताल में कोई भूल चूक हुई है।“ यह सुनते ही राजा क्रोधित हो उठे और बोले, “ऐसा नहीं हो सकता। मुझे अपने पुत्र के जीवित होने की पल-पल खबर दी गई है। और तुम कहते हो कि वह मर गया? मैं नहीं मानता।“ इस पर वराह मिहिर ने जवाब दिया, “राजन, यदि आपको मेरी बत पर विश्वास नहीं हो रहा तो आप उस इमारत में जाकर खुद देख लीजिए। आपका पुत्र आपको खून में लथपथ और मृत मिलेगा।“

इतना सुनते ही राजा के शरीर में मानो कंपकपी सी दौड़ पड़ी। वे व्यवस्था में मौजूद मंत्रियों एवं वराह मिहिर के साथ अपने पुत्र को देखने चल पड़े। बीच रास्ते में जाते हुए प्रत्येक सैनिक से जब राजकुमार के बारे में पूछा गया तो सभी ने कहा कि वह ठीक हैं और सातवीं इमारत पर अपने मित्रों के साथ बैठे हैं।  लेकिन पिता का मन फिर भी पुत्र को अपनी आंखों से देखना चाहता था। राजा आगे बढ़े और उस स्थान पर पहुंचे जहां राजकुमार और उनके मित्र ताश खेल रहे थे। लेकिन वहां राजकुमार उपस्थित नहीं थे। किसी एक मित्र ने बताया कि राजकुमार कुछ परेशान सा महसूस कर रहे थे, इसलिए वह इमारत के छज्जे पर ठंडी हवा का आनंद लेने गए थे, लेकिन काफी देर बाद भी वापस नहीं लौटे।  यह सुन राजा फटाफट छज्जे की ओर भागे, वहां पहुंचकर उन्होंने जो देखा वह चौंकाने वाला था। राजकुमार खून से लथपथ एक शयन पर गिरे पड़े थे और उनके प्राण लेने वाला कोई और नहीं बल्कि महल का ही राजसी चिन्ह दर्शाता एक डंडा था जिस पर एक जंगली वराह बना हुआ था।  आखिरकार वराह मिहिर की भविष्यवाणी सच हुई। फिर चाहे वह एक जीवित वराह था या नकली, अंत में राजकुमार की मृत्यु एक वराह के वार से ही हुई। यह दृश्य देख सभी हैरान थे कि आखिरकार यह सब कैसे हुआ होगा।  दरअसल अपने मित्रों के साथ ताश खेल रहे राजकुमार को अचानक सीने में घुटन-सी महसूस होने लगी। उन्होंने अपने ताश के पत्ते पास बैठे मित्र को पकड़ाए और खुली हवा में जाने का निश्चय किया। छज्जे पर उनके आराम के लिए हमेशा एक गद्देदार पलंग बिछा होता था। वह उस पलंग पर लेट गए, उनका मुख ऊपर की ओर ही था। अचानक ठीक 5 बजे ज़ोरदार हवा चली जिसके कारण छज्जे के किनारे लगा वह डंडा अचानक राजकुमार पर ज़ोर से आ गिरा। उस डंडे पर लगे नकली वराह ने राजकुमार के सीने, पेट और सिर पर प्रहार किया। राजकुमार पलभर में खून से लथपथ हो गए और मौके पर अपने प्राण त्याग दिए। हवा के ज़ोर से शायद उनकी चीखें भी कोई सुन ना सका।

हाथ से खाने के पीछे छिपे हैं कई वैज्ञानिक पहलू

एक दौर था जब हाथ से भोजन करना एक सामान्य परंपरा थी। वैसे बंगाल समेत दक्षिण भारत के वो राज्य जो आज भी अपनी संस्कृति के नजदीक हैं, छुरी-कांटे या चम्मच की सहायता के बगैर हाथ से ही भोजन करते हैं लेकिन विस्तृत परिप्रेक्ष्य में उन्हें अनहाइजिनिक माना जाता है। अंग्रेजी रियलिटी टी.वी. शो बिग ब्रदर में एक बार एक भारतीय प्रतिद्वंदी ने हाथ से भोजन क्या कर लिया था, उसके अन्य अंग्रेजी सहभागियों ने पूरे भारत के लोगों की ही हाइजीन पर सवाल उठा दिया था। पश्चिमी सभ्यता के अंतर्गत हाथ से भोजन करना असभ्य होने की निशानी माना जाता है।  लेकिन भारतीय संस्कृति में अन्न को भी देवता का दर्जा दिया गया है, इसलिए हमेशा से ही हाथ से भोजन करना हमारी परंपरा का हिस्सा रहा है। हाथ से भोजन करने के पीछे कई कारण दर्ज हैं। क्या कभी आपने ये सोचा है कि हमारे पूर्वजों ने हमेशा हाथ से भोजन करने को ही तरजीह क्यों दी? क्यों वे लोग खाने की प्रत्येक वस्तु को हाथ से ग्रहण करना ही बेहतर समझते थे? आपको बता दें कि हाथ से भोजन करने की इस परंपरा का उद्भव आयुर्वेद की शिक्षाओं के बाद हुआ था। वैदिक काल से जुड़े लोग ये जानते थे कि मानव शरीर की ऊर्जा हाथों में ही छिपी हुई है। योग और नृत्य में आपने ‘मुद्राओं’ के विषय में जरूर सुना होगा, जो हिन्दू परंपरा का एक अहम हिस्सा हैं। हाथ से खाना खाने का तरीका भी मुद्राओं के अभ्यास से ही उत्पन्न हुआ है। ध्यान और पारंपरिक नृत्यों जैसे भरतनाट्यम में मुद्राओं का अभ्यास किया जाता है। शास्त्रों में मनुष्य के हाथों को ही शरीर का सबसे मूल्यवान अंग माना गया है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मनुष्य के हाथों की अंगुलियों के छोर पर देवी लक्ष्मी का वास होता है, मध्य में गोविंद यानि कृष्ण और सबसे नीचे देवी सरस्वती का वास होता है। हमारे हाथों और पैरों को पांचों तत्वों की वाहिका माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार हमारी प्रत्येक अंगुली किसी ना किसी विशिष्ट तत्व का प्रतिनिधित्व करती है। अंगूठे का अर्थ ब्रह्मांड से है, तर्जनी अंगुली वायु, मध्यमा अग्नि, अनामिका अंगुली जल, कनिष्ठिका धरती का प्रतिनिधित्व करती हैं। प्रत्येक अंगुली, भोजन को शरीर में प्रवेश करने से पहले उसे पवित्र करती है उसमें सुधार करती है। जैसे ही अंगुलियों द्वारा खाद्य पदार्थ को छुआ जाता है वैसे ही पांचों तत्वों का प्रभाव भोजन पर पड़ता है और साथ ही अग्नि देव को आमंत्रित किया जाता है ताकि वह भोजन शरीर में भली प्रकार से रिस जाए। इन पांचों तत्वों की ही सहायता से ही व्यक्ति भोजन के टेस्ट के साथ-साथ उसकी महक, उसकी संरचना आदि का भी आनंद लेता है।  आपने अपने घर में यह भी देखा होगा कि परिवार के बड़े सदस्य जब भी खाना बनाने रसोई में जाते हैं तो मसालों का हिसाब-किताब वह अपनी अंगुलियों पर ही कर लेते हैं। बिना किसी चम्मच की सहायता के सिर्फ अंदाजे से ही वे सब्जी में मसाले डाल लेते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रकृति ने आपके हाथों की रचना ही कुछ इस प्रकार की है कि कुछ भी सीमित और जरूरी मात्रा में ही हमारे शरीर में जाए। यह तो मात्र एक ऐसा उदाहरण है, जो यह साबित करने के लिए काफी है कि हिन्दू परंपरा में कई ऐसी चीजें शामिल हैं जो पहली नजर में तो बिल्कुल सामान्य या फिर अजीब लगेंगी लेकिन इनके पीछे छिपे गहरे शास्त्र को समझने के लिए हिन्दू परंपरा में दिलचस्पी और धैर्य होना बहुत आवश्यक है।

7 sex secrets women want men to know

Guys, here's your chance to know the seven sex secrets women wish their partner knew...

A good talk is a great aphrodisiac
Many women find talk a great turn-on. For them, talking and feeling loved are very important. Good conversation during walks or while the couple is relaxing can be a great aphrodisiac. A man could tell his woman how much he loves her, which acts as a reassurance that he is with her mentally during those intimate moments.

Many women are anxious about their looks
For a couple that has been together for long, sometimes it is natural that women may feel that their partner may find them less alluring. Because of this some women undress only under the cover of darkness. Caring men can sense such anxieties. There is no need to lie and say she's gorgeous if she isn't, nor is there a need to say that she is not attractive anymore. One can always appreciate and praise what you do find attractive.

For a woman sex isn't separate from rest of her life
On the other hand, men tend to compartmentalise, feeling that stressful aspects of life can be parked mentally and separated from sexual activity. Women need good feelings and experiences during the day to have satisfying sex. How her lover treats her out of bed, greatly influences her response in bed. Inattentiveness, harsh language, rude tones, hurtful words, and criticism can make it difficult for a woman to get involved, feel enthusiastic and be passionate during sex.

An orgasm is not a necessity
Many men feel that a good lover is one who can bring his woman to climactic sexual culmination. It is great to have such moments, but aren't always essential. Many women feel pressure from partners and even from themselves to reach an orgasm. Sometimes instead of having orgasms, women prefer to engage in just foreplay.

Sex need not be a serious act
Playfulness is a great quality. Many men are far too serious about sex. They forget to laugh, be romantically mischievous, have fun. Playfulness and light-heartedness can make intimate moments enjoyable and relaxing. This takes performance pressure off from both partners.

Women cherish non-sexual touching and tenderness
Women love romance, cuddling, hand-holding and kissing. But many women complain that their men never do this except during foreplay. A woman should make her man realise the joy of touching. As you give him a relaxing massage and stroke his face and hair tenderly, he starts experiencing the joy of this kind of non-sexual touching. Tell your man what makes you feel loved.

Warm attention after sex is important
A woman's need for tender moments goes beyond the actual lovemaking. Some women complain that men fall asleep immediately after the act. It is true that when a man is having sex, his endorphin level is very high. Almost immediately after ejaculation, he goes through a refractory phase where he loses his erection and all his systems gear down. In females this phase happens gradually. However, if you don't like him falling asleep immediately, tell him without putting him down. Alternatively, let him sleep in your arms for a few minutes and gently wake him up afterwards.

Indians Urged to Stay Indoors as Sweltering Heat Kills More Than 1,300

NEW DELHI — Large swaths of India were baking again on Wednesday under intense heat that has killed more than 1,300 people and left the government scrambling to warn an often unheeding population about the dangers of stepping outside in the blazing midday sun.

Temperatures surpassed 116 degrees in some places in recent days, and were higher than normal even in coastal districts that are typically cooled by easterly winds.

Most of the deaths were reported in southern India, in the states of Andhra Pradesh and Telangana, with more than 1,000 people killed in Andhra Pradesh alone since May 18, said P. Tulasi Rani, an official with the state’s Disaster Management Department.

May is typically one of the hottest months of the year in India, with the heat building before the onset of the cooling monsoon season. Yet every year the heat seems to catch residents and the government by surprise.

The high temperatures are the result of hot winds blowing in from the west, leading one local news channel to call the phenomenon a “heat bomb” from Pakistan. B. P. Yadav, of the India Meteorological Department, said the winds had made things worse this year, and contributed to delaying much needed rains in the south. New Delhi, he said, will cool down over the coming days, but heat up again by the end of the month.

The government in Telangana was working with local nongovernmental organizations to provide buttermilk and drinking water to residents through village councils. In Andhra Pradesh, government warnings were broadcast on television and radio urging people to stay inside, especially between noon and 4 p.m.

“It has been quite unbearable,” said L. V. Subramanyam, the special chief secretary of Andhra Pradesh, adding that most of the deaths were among the elderly, laborers and the homeless.

“We cannot restrict people’s movements over a month,” Mr. Subramanyam said.

In Delhi, which has suffered days of unrelenting heat, with temperatures reaching a high of 113 degrees on Monday, people clutched well-worn plastic juice bottles, refilled at public drinking fountains in temples and mosques. A vendor splashed water from a construction site on his tower of fresh coconut pieces; a beggar bathed his leathery forearms in water from a plastic bottle; and vegetable sellers smothered their stock in wet gunny sacks, doused every 15 minutes.

At the All India Institute of Medical Sciences, one of Delhi’s largest public hospitals, families arrived with patients from villages all over the country, waiting for appointments inside the gate. Respite from the heat became a cat-and-mouse game with elusive shade. Kamla Prashad Ahirwal, who rolls crude cigarettes, called beedis, said the worst came at night, when the hospital cut off access to the water fountain and he was forced to gulp down progressively hotter water.

“Even as I’m drinking the water, I can’t feel it,” he said. “I’m still thirsty.”

Dr. Gaurav Muvalia, a resident in the hospital’s emergency room, said patients suffering from heatstroke typically came in with fevers and delirium. “They’re not in their right mind; they don’t know what they’re saying,” he said.

Hospital staff members wrap the patients in wet sheets to bring down their body temperatures, Dr. Muvalia said. In a previous summer, one cycle rickshaw driver, he recalled, came in with a fever of 104. He was wiped down with cold sponges and given intravenous fluids.

Many people built their own defenses against the inescapable weather. A group of unemployed day laborers in south Delhi were bathing three times a day in a leaking pipe that sprayed a fountain of cold water.

Some lucky Delhi residents had air coolers — a downscale variety consisting of a metal box, wet straw, and a fan.

Privthi Raj, 50, a day laborer, said he would not return to work until the monsoons come, which could be a while. At night, he said, he sleeps under a gazebo in a public park.

“I only think about sleeping next to a cooler,” he said. “If somehow I could get a cooler, I could get some relief.”

नाथद्वारा : भारत के सबसे अमीर धर्मस्थलों में से एक है ये मंदिर


नाथद्वारा कस्बा राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है। यहां श्री नाथ जी मंदिर स्थित है जो कि पुष्टिमार्गीय वैष्णव सम्प्रदाय का प्रधान (प्रमुख) पीठ है। नाथद्वारा का शाब्दिक अर्थ श्रीनाथ जी का द्वार होता है। श्री कृष्ण यहां श्रीनाथ जी के नाम से विख्यात हैं। काले पत्थर की बनी श्रीनाथ जी की इस मूर्ति की स्थापना 1669 में की गई थी। वैष्णव पंथ का यह मंदिर शिर्डी स्थित सांईबाबा, तिरुपति स्थित बालाजी और मुंबई स्थित सिद्धी विनायक मंदिर जैसे भारत के सबसे अमीर मंदिरों की श्रेणी में आता है।

यहां श्रद्धाभाव के साथ दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। नाथद्वारा कस्बे की तंग गलियों के बीच स्थित श्रीनाथ जी के प्रति लोगों की इतनी गहरी आस्था और श्रद्धाभाव है कि साल भर यहां भक्तों का हुजूम लगा रहता है। यूं तो श्रीनाथ जी का मंदिर भारत के लगभग हर शहर में और दुनिया में कई जगह हैं, लेकिन श्रीनाथ जी के हर मंदिर में ऐसी भीड़ एकत्रित नहीं होती है। दरअसल कुछ ज्योतिषियों और वास्तुविदों का मानना है कि इसका कारण मंदिर की भौगोलिक स्थिति और बनावट है। जो लोग श्रीनाथ जी में आस्था रखते हैं वे ये मानते हैं कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है वो जरूर पूरी होती है।


कैसे पहुंचे


बस सेवा- श्रीनाथद्वारा के लिए देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से बस सुविधा उपलब्ध है। 
रेल सेवा- नाथद्वारा के निकटवर्ती रेल्वे स्टेशन मावली 28 और उदयपुर 48 तक देश के प्रमुख शहरों से रेल सेवा उपलब्ध है।
वायु सेवा- नाथद्वारा के निकटवर्ती हवाई अड्डे डबोक 48 से देश के प्रमुख शहरों तक आने- जाने के लिए वायुयान सेवा उपलब्ध है।

परिवार के सुख के लिए ध्यान रखें ये बातें

परिवार में सुख बना रहे, इसके लिए सभी सदस्यों को ये 3 बातें ध्यान रखना चाहिए...
1. व्यक्तिगत सुख से पहले परिवार के हितों का ध्यान रखें।
2. एक-दूसरे पर अपनी पसंद ना थोपें।
3. घर में अनुशासन रहना चाहिए, बंधन नहीं।
अक्सर परिवार के सदस्य एक-दूसरे पर अपनी पसंद को थोपना चाहते हैं। बड़े अपने सारे काम, सारी सोच, सारे नियम कायदे छोटों पर थोप देते हैं। पत्नी, पति की पसंद से जीती हैं। बच्चे मां-बाप के अधीन हो जाते हैं। परिवार में अनुशासन ठीक है, लेकिन वह अनुशासन बंधन बन जाए तो मन के रिश्ते टूटने लगते हैं। परिवार की खुशहाली के लिए इन बातों से बचना चाहिए।

परिवार की मर्यादा कैसे बनाए रखें, सीख सकते हैं रघुवंश से

रामायण में लक्ष्मण और शत्रुघ्न दोनों रानी सुमित्रा के पुत्र हैं। लक्ष्मण, शत्रुघ्न से बड़े हैं। लक्ष्मण को श्रीराम की सेवा प्रिय है। वो सोते-जागते हर पल श्रीराम की सेवा में लीन है, लेकिन उनका ही छोटा भाई शत्रुघ्न भरत की परछाई है। शत्रुघ्न का पूरा जीवन भरत की सेवा में गुजरा। लक्ष्मण ने कभी अपनी पसंद शत्रुघ्न पर नहीं थोपी कि तुम भी श्रीराम की ही सेवा में रहो।
जब रघुवंश पर श्रीराम के वनवास का वज्रपात हुआ तो संभव था कि लक्ष्मण क्रोध में शत्रुघ्न को भरत से अलग कर देते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। परिवार की मर्यादा के लिए लक्ष्मण भी उतने ही कटिबद्ध थे जितने श्रीराम। परिवार में निजी हित उतने मायने नहीं रखते, जितने परिवार के हित। जिस दिन हम यह बात समझ लेंगे हमारा परिवार भी सुखी हो जाएगा।

सोमवार सुबह से शुरू होगा पंचक, न करें ये 5 काम

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले शुभ-अशुभ मुहूर्त के बारे में विचार किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार कुछ नक्षत्र स्वयंसिद्ध होते हैं यानी इन नक्षत्रों में शुभ कार्य करना बहुत ही अच्छा रहता है, वहीं कुछ नक्षत्रों में कोई कार्य विशेष वर्जित माने गए हैं। धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती भी ऐसे ही नक्षत्रों का एक समूह है। धनिष्ठा के प्रारंभ होने से लेकर रेवती नक्षत्र के अंत समय को पंचक कहते हैं।
इस बार पंचक का प्रारंभ 8 जून, सोमवार को रात के 04.46 से होगा, जो 12 जून, शुक्रवार को सुबह 09.34 तक रहेगा। भारतीय ज्योतिष में पंचक को अशुभ समय माना गया है। इसलिए इस दौरान कुछ कार्य विशेष करने की मनाही है। आगे जानिए इन नक्षत्रों का प्रभाव तथा पंचक के दौरान कौन से 5 काम नहीं करने चाहिए-

1. पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि ईंधन एकत्रित नही करना चाहिए, इससे अग्नि का भय रहता है।
2. पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नही करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।
3. पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनाना चाहिए, ऐसा विद्वानों का मत है। इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है।
4. पंचक में चारपाई बनवाना भी अशुभ माना जाता है। विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
5. पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से पहले किसी योग्य पंडित की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। यदि ऐसा न हो पाए तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखना चाहिए और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करना चाहिए, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है। ऐसा गरुड़ पुराण में लिखा है।

फतुल्लाह मैदानावर सराव करण्यासाठी टीम इंडियाला परवानगी नाकारली


भारत आणि बांग्लादेश यांच्यात होणारा एकमेव कसोटी सामना बुधवार 10 जूनपासून फतुल्लाह येथे सुरू होणार आहे. 8 जूनला ढाका येथे पोहोचल्यानंतर टीम इंडिया ला फतुल्लाह येथील मैदानावर सराव करायचा होता. पण बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) ने त्यासाठी परवानगी दिली नाही. बांगलादेशचे खेळाडू त्याठिकाणी सराव करणार असल्याने मैदान रिकामे नसल्याचे कारण त्यासाठी देण्यात आले.

एकच दिवस करणार होते सराव...
टीम इंडिया आधी केवळ मंगळवारी 9 जूनलाच सराव करणार होती. पण काही दिवसांपूर्वीच खेळाडू 8 जूनला दुपारीदेखिल सराव करतील हे ठरले होते. त्याची माहिती बांग्लादेश बोर्डाला देण्यात आली. तसेच त्यासाठी फतुल्लाह मैदानाची परवानगीही मागण्यात आली होती. पण बीसीबीने टीम इंडियाला बांगलादेशच्या क्रिकेटपटुंच्या सरावाबाबत कारण देत मीरपूरस्थित शेरे बांगला नॅशनल स्टेडियममध्ये सराव करण्यास सांगितले.

अशी होती स्थिती...
शेरे बांगला स्टेडियममध्ये सराव करणे फार सोपे नव्हते. त्याठिकाणी कडक उन होते. त्यामुळे खेळाडुंना फार काळ त्याठिकाणी सराव करणे अवघड जात होते. या स्टेडियमच्या जवळपास हिरवळही नाही. केवळ काही मोठ्या इमारती आहेत. तसेच दमटपणाही फार होता. काही हेल्पर होते पण तेही सावलीच्या शोधात होते. फतुल्लाह ग्राउंडवर मात्र याच्या अगदीच विपरित स्थिती होती. त्याठिकाणी जोरदार वारेही वाहत होते. रविवारी वादळी वारे आल्याने याठिकाणचे तापमान 35 डिग्रीपर्यंत खाली आले होते. तसेच या मैदानाच्या जवळपास हिरवळ आहे आणि अनेक शेडही आहेत, त्यामध्ये सराव करता येतो.

प्रतिकूल परिस्थितीतही केला सराव
विराट कोहलीच्या नेतृत्वात कसोटी खेळण्यासाठी गेलेल्या टीम इंडियाने अशा प्रतिकुल परिस्थितीतही दुपारी सुमारे तीन तास घाम गाळला. आधी सर्व खेळाडुंनी वॉर्म अप केला. त्यानंतर फुटबॉलचा आनंद घेतल्यानंतर विराट, रोहित, विजय, राहाणे, पुजारा आणि धवनने बराच वेळ फलंदाजीचा सराव केला. कोहली नेट्समध्ये चांगली फलंदाजी करत असल्याचे दिसून आले.

गोलंदाजांनीही गाळला घाम
हरभजन सिंग, आर. अश्विन आणि कर्ण शर्माने संपूर्ण सेशनमध्ये गोलंदाजी केली. इशांत शर्मा, भुवनेश्वर कुमार आणि वरुन अॅरोन यांनीही सुमारे तासभर गोलंदाजीचा सराव केला. त्यानंतर सगळे कोचिंग सेशनसाठी गेले.

9 वर्षांनी होतेय कसोटी
फतुल्ला मैदानावर 9 वर्षांनंतर कसोटी सामना होत आहे. या मैदानावर 2006 मध्ये बांगलादेशने ऑस्ट्रेलियाच्या विरोधात कसोटी सामना खेळला होता. गेल्यावर्षी या मैदानावर टीम इंडियाने काही वन डे सामने खेळले आहेत पण कसोटी सामना प्रथमच खेळत आहे.

Let Hong Kong rock your world: What to eat, what to see, where to stay

If you think that Hong Kong is just glass and steel, you are very much mistaken.
Sure, this pearl of Asia is lustrous, but shuck the husk and you'll discover profound riches that shine even brighter. There's no time like the present for a trip to the Fragrant Harbour to discover a metropolis that's blossoming before your eyes. Beauty sleep seekers rejoice; there are plenty of places at which to steal forty winks.
From Hong Kong's veritable Grande Dame, The Peninsula (peninsula.com), which reigns supreme from its picture-perfect Victoria Harbour vantage point, to understated sky-high style courtesy of André Fu-designed The Upper House (upperhouse.com), via Central's boutique newcomer, The Pottinger Hong Kong (thepottinger.com), there is a suite to suit all tastes.
Hong Kong was once a city content to follow trends. A newfound confidence in its own taste means it's now leading them. Nowhere is this more apparent than on the culinary scene. A distinctly Hong Kong style of cuisine is emerging, led by homegrown chefs who champion local flavours in innovative new ways.

Among the trailblazers is two-Michelin-starred haute Cantonese salon Duddell's (duddells.co) and a slinky, subterranean farm-to-table Chinese den, Mott 32 (mott32.com). The former dazzles with modern-minimalism meets gallery chic; the latter beguiles beneath seductively appointed vaulted ceilings, envisaged by the Hong Kong-born designer Joyce Wang.
And it's not just glitzy gourmet haunts that have come to define the dining-scape of the city. A plethora of private kitchens have popped up, offering a far more intimate glimpse into the consciousness of the city's gastronomes. Take Ta Pantry (ta-pantry.com). Chef Esther Sham, who was born in Hong Kong but educated overseas, showcases the flavours of Asia, America and beyond from her North Point locale. It does not serve typically Cantonese fare, but still evinces an identity inspired by the city.
The food undeniably embodies the Hong Kong of the present; the architecture narrates its colonial past. Current trends dictate that heritage is hot and here to stay, which is good news for some of the city's stateliest of structures. We've already witnessed the rebirth of Aberdeen Street's former police married quarters as PMQ (pmq.org.hk) - a hub of independent, arty boutiques and eateries, as well as one of the finest event and gallery spaces around.
Up next: Central Police Station(centralpolicestation.org.hk), a colossal project overseen by architectural firm Herzog & de Meuron. It isn't due for completion until 2016, but local-pride lovers don't need to wait to experience the self-preserving spirit making its presence felt, as erstwhile forgotten neighbourhoods are experiencing something of a renaissance.

Districts such as Sai Ying Pun in the west, Tai Hang to the east and Wong Chuk Hang on the south of the island are boasting grassroots galleries, dining and shopping destinations. The south side in particular is a region in transition and well worth visiting for its industrial units-turned-exhibition spaces.
Standouts include 3812 Contemporary Art Projects (3812cap.com), which is dedicated to emerging talents, and photography warehouse Blindspot Gallery (blindspotgallery.com). Finally, reward yourself with a post-gallery steak at the Butchers Club (butchersclub.com.hk) to complete a culturally, and corporeally, enriching afternoon. For further insight and insider tips, visit luxecityguides.com

Hill stations near Delhi that are perfect for long weekends


There are plenty of options when it comes to choosing amongst weekend getaways from Delhi. The Indian capital's proximity to the Himalayas means that there are many hill stations near Delhi offering a much-needed escape from the bustling streets and soaring temperatures. The picturesque snow-laden peaks and the charming hill towns nestled amidst them provide a perfect respite from the scorching heat. Whether you're looking for a relaxed stay in a luxury resort overlooking the hills or a high-on-adrenaline paragliding experience—these long weekend getaways from Delhi will enthral in you in every way.

Kullu-Manali

Thanks to its surrounding snow-clad mountains, river valleys, thermal springs and laidback vibe, Manali is a popular getaway, located 600 km away from Delhi. 

Dharamshala

Best known as the base of the Dalai Lama and an important centre of Tibetan culture in India, Dharamshala is a small hill station located 475 km from Delhi.

Shimla

Characterised by spectacular views of snow-clad Himalayas, colonial buildings, and picturesque walking trails, this hill station is situated 350 km away from Delhi.

Dalhousie

Situated at a distance of 580 km from Delhi, Dalhousie is a quaint hill station perched at an altitude of 8000 ft, and sprawling across five hills at the foothills of the Dhauladhar range in Himachal Pradesh.

Nainital

Lying 300 km away from Delhi, Nainital is among the top hill-stations in India with its beautiful emerald lake, green hills and old cottages.

Mussoorie

Often called the ‘Queen of the Hills’, this British-era hill station lies at a distance of 280 km from Delhi, and is a favoured vacation spot for everyone from honeymooners to families.

Auli

Approximately 400 km from Delhi, Auli is a picturesque hill station located in the Chamoli district of Uttarakhand, which is also a well-known skiing destination in the country.

Chamba

About 290 km from Delhi, Chamba is a small township located in the Tehri district of Uttaranchal, and remains relatively untouched by tourism.

















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North East India is a land where beauty is abundant. A place whose purity and untouched splendor will take you to a magical place like never before. It’s stunning landscapes will leave you in awe. From the natural wonders like the Living Root Bridge to amazing animals like the one horned rhino, North East India is a land of many gifts.
This video takes us through a short journey of what the magical lands are truly like.